जिन्हें पीढी दर पीढी सुनाया जाए हीर-रांझे, सोनी-महिवाल की दुखांत गाथा के रूप मे अवास्तविक स्वप्नलोक की सूरत देकर।
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गंगा जमना (1960) दिलीप कुमार के फिल्म मदर इण्डिया में न होने की टीस का परिणाम है थी इसमें भी ज़मीदार के अत्याचार और एक सामान्य किसान गंगा के बागी होने की दुखांत गाथा है, किन्तु इसमें दलित युवति धन्नो (बैजंयती माला) और गैर ब्राह्मण युवक जमुना (दिलीप कुमार) की मार्मिक प्रेमगाथ भी शामिल है।
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मुझे यह कहने मे कतई शक नही कि हमारा समय और समाज प्रेम विरोधी है, इसलिए मुझे हैरानी नही कि बहुत से माता-पिता वैलेंटाइंस डे की खिलाफत से प्रसन्न दिखाई दे रहे हों और मन ही मन मे राम सेना की जयजयकार भी कर रहे हों।प्यार अच्छा है, पर कहानियों में.....जिन्हें पीढी दर पीढी सुनाया जाए हीर-रांझे, सोनी-महिवाल की दुखांत गाथा के रूप मे अवास्तविक स्वप्नलोक की सूरत देकर।